है हक़ीक़त है मुझे ख़ौफ़ तुझे खो ना दूं..
हमसफ़र बन के हर सफ़र में सदा तू चलना..
हमसफ़र भी यूँ ही होते हैं कभी साहिल पे
तन्हा तूफ़ा में हमें छोड़ के आ ज़ाए तो
मिन्नत ये है की हमसफ़र ना बनना तू..
बन के साया ही खुदाया संग में तू चलना..
वक़्त हम पे अगर ऐसा भी कभी आए तो
राह में छोड़ के साया भी चला जाए तो..
गुज़ारिश है ना बनना तू कभी हम साया
धड़कनें बन के मेरे दिल में सदा तू रहना..
दिल भी दिल है इसे भी मौत कभी आएगी..
धड़कनें मेरी किसी पल तो थम ही जाएँगी..
काश ऐसा हो मेरा ख़ौफ़ ही खो जाए कहीं
खो जाए यही ख़ौफ़ तुझे खो ना दूं...
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