कहाँ से ये धुआँ
उठता है इस वीराने में
मैने ना जाना
बस सोचती रहती हूँ हरदम
कि इसकी वजह क्या है ...
पास की भट्टी की दहक ??
पर उसे बुझे तो बरसों बीत गये
नज़दीक की बस्ती में लगी आग??
पर उसे तो लोग परसों रीत गये
पड़ोस के घर का चूल्हा?
पर वो कब ही का बुझ चुका..
बगल में पड़ी अंगीठी??
पर उसका ईंधन तो कब का फूँक चुका..
फिर कहाँ से उठता है धुआँ इस वीराने में
सोचो ज़रा कि इसकी वजह क्या है
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1 टिप्पणी:
Really touching !
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