आज मैने चाँद को देखा..
या ये कहा जाए की वो फिर से मुझे दिख गया..
आज कुछ उदास था..
कुछ कुछ पीला सा..
पूछने पर कि "क्या हुआ ?"
कुछ कहा भी नहीं!
हाँ , वैसे भी..
मुझसे कहाँ कुछ कहता है वो..
.. तुम ही ने कहा होगा..
अब रहेगा ऐसे ही मुँह फुलाए
ना अपनी कहेगा, ना तुम्हारी सुनाएगा
बस चलता रहेगा चुपचाप
क्षितिज पर ,मेरे साथ..
इस छोर से उस छोर तक
फिर बिना कुछ कहे गुम हो जाएगा..
... तुम ही ने कहा होगा..
तुम्हारा हाल कह सकता है है वो..
दिखावा करता है है मेरे सामने..
जलाता है मुझे ये जता कर
कि तुम्हें देख सकता है
परेशन करता है मुझे चुप रहकर..
मुझे नहीं बताएगा मैं जानती हूँ..
.. तुम ही ने कहा होगा..
क्यूं कहते हो उससे??
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