शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2007

यादें..

सुनसान रहें,रास्ते के पत्थर,
उड़ते पंछी,पीछा करता चाँद
टूटे फूल ,वो मुलाक़ातें ..
बस यादें

बोलती ख़ामोशी,चलते क़दम,
अनोखे अंदाज़ ,परिचित से वक्तव्य
वही प्रश्न,अपूर्ण बातें ..
अधूरी मुरादें..

अनदेखे ख्वाब,अनजाने राज़..
सुना सा शोर,पढ़े हुए पुर्ज़े,
गिरते हुए पर्दे, अनोखी रातें,
कुछ कर ना दें..

नाम सी आँखें, बहते आँसू..
ढहते स्वप्न,डूबती कश्ती..
कौन सा तूफ़ान, कैसी बरसातें..
ये फ़रियादें..

यादें..

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