शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

बंटवारा

आओ देश का बंटवारा करें..
एक बार फिर थोडा रक्त बहाएं
इस बार छोटे छोटे टुकड़े करें
और आपस में बाँट लें
बाँट क्या लें, छीनें , झपटें , झल्लाएं
थोडा "मेरा" "मेरा" चिल्लाएं
और अपने हिस्से कि आज़ादी का जश्न भी मना लें..

अब देखें किस के हिस्से क्या आया है
अब नए नियम क्या लागू हैं
एक राष्ट्र में  कई राष्ट्र हो चले..
सौ राष्ट्र हो या महा राष्ट्र
चलो अब हवा भी बाँध लेते हैं,
और नदियों पर थोड़ी और बंदिश लगा लें
हर जगह दीवारें, दहलीजें, और बाड़ें
ना हों तो जंजीरें हो तो तलवारें

अब सोचें कि बचा क्या है
क्या ज़मीर? देश प्रेम? अपराध-बोध जिंदा हैं?
 या उन्हें भी जला चुके हैं हम अँधेरे की आग में..
हाँ आग अँधेरे की
अँधेरा लाचारी का
लाचारी अनभिज्ञता की
अनभिज्ञता इस बात की,
कि हम सब दोषी हैं..
कि हम एक हो कर न सोच पाए..
कि क्यों हमारी निर्णायक
एक कुर्सी है.. एक टोपी है..

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

Every state is trying to partition itself from the rest of the India.
Its not a thing to proud as an Indian. Be it Bihar which goes for Yadavs or Maharastra which says Mumbai for Marathis only. Wake up Indians. Its time to do something.