बुधवार, 3 अक्टूबर 2007

आ तुझे कोई नाम दूँ..

घुल जाये जो कानों में..
एक हो सब जहानों में..
ना हो किसी का जैसा..
आ तुझे कोई नाम दूँ..


अकेली,प्यारी सूनी सी..
रमी हुई जो धूनी सी..
साथ को तरसे नहीं जो..
आ तुझे कोई शाम दूँ॥
तुझे कोई नाम दूँ..